Trump बोले ‘रूसी तेल बंद करो’, Modi बोले ‘India First

Trump – Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की उस मांग को ठुकरा रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि भारत तुरंत रूसी कच्चा तेल (Russian oil) खरीदना बंद करे। आइए जानते हैं—क्यों मोदी हर दबाव के बावजूद “ना” कहते हैं।

१. Trump का दबाव क्या है?

अमेरिका ने हाल ही में India को चेतावनी दी है कि अगर वह Russian oil खरीदना जारी रखेगा तो उस पर भारी-भरकम टैरिफ और अन्य आर्थिक दंड लगाए जाएंगे।
— ट्रम्प ने २५% reciprocal tariff लगाने की घोषणा की है, और कहा कि वह additional penalties लागू करेंगे क्योंकि भारत रूसी तेल खरीद रहा है

— ट्रम्प की टीम ने यह आरोप लगाया कि भारत discounted Russian oil खरीदकर फिर इसे open market में resale करके profit कमा रहा है
— U.S. की रणनीति में अब secondary sanctions का प्रयोग शामिल है—जिसमें १००% तक टैरिफ लगाने की तैयारी है उन देशों पर जो Russia से तेल लेते रहेंगे ।

२. मोदी / भारत का रिस्पॉन्स क्यों है “नो”?

(क) राष्ट्रीय आर्थिक स्वार्थ (National interest)

— भारत का मानना है कि सस्ता रूसी तेल खरीदना महंगाई नियंत्रण, ऊर्जा की सुरक्षा और तेल की कीमतों को स्थिर रखने के लिए महत्वपूर्ण रहा है।
— विदेश मंत्रालय का कहना है कि जब ग्लोबल युद्ध‑युद्धज दुष्प्रभाव से supplies diverted होती हैं, तो रूस से कच्चा तेल लेना India की आर्थिक ज़रूरत थी

(ख) पश्चिम की दोहरापन नीति (Double standards)

— भारत ने अस्वीकार किया है कि उस पर तनाव तब है जबकि अमेरिकी और यूरोपीय संघ अभी भी रूस से trade कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, EU ने 2024 में रूस से €67.5 billion का व्यापार किया और LNG की बड़ी मात्रा आयात की, वहीं अमेरिका भी uranium, palladium, fertilizers इत्यादि खरीदता है
— därför India ने कटाक्ष किया है कि India पर इल्ज़ाम लगाना hypocritical है ।

(ग) रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic autonomy)

— भारत की विदेश नीति decades से non-alignment और strategic autonomy पर आधारित है। वह किसी तीसरे देश के prism से अपनी संबंधों को नहीं देखना चाहता—चेन्नई, रूस–India संबंधों को अलग अंदाज़ में देखा जाना चाहिए
— विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा: “Our ties with any country … should not be seen from prism of a third country” ।

(घ) अमेरिका‑रूस‑भारत त्रिकोणीय राजनीति

— Delhi ने ट्रम्प की ओर से पाकिस्तान के साथ तेल सौदा और अधिक निकट सहयोग की चिंता व्यक्त की है। ट्रम्प ने व्यापार और ऊर्जा समझौता करके भारत को विदेश नीति निर्धारण में अधिक स्वतंत्रता दी।
— “India and Russia can take their dead economies down together,” ट्रम्प ने कहा। इस तरह की स्पष्ट टिप्पणी ने भारत की प्रतिष्ठा और स्वतंत्र दृष्टिकोण को प्रभावित किया।

३. Modi की पॉलिसी ले जाकर क्या लक्ष्य है?

— Modi’s strategy shows that India prioritizes energy security, inflation control, and domestic consumers’ well-being। कोई भी विकृत व्यापार नहीं चाहता।
— Policy analysts का मानना है कि Modi यह मान रहा है कि Trump अंततः समझ जाएगा कि bilateral strategic ties चीन के बढ़ते प्रभाव से मुकाबले में ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं और trade spat को escalate करना जोखिम भरा है
— कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि Trump रूसी तेल की खरीद को leverage की तरह इस्तेमाल कर रहा है broader trade negotiations में U.S.‑ India deal की मांगों को पार पाने के लिए—जैसे dairy/ agriculture market access, Indian investment in U.S. आदि ।

कुल मिलाकर क्या हो रहा है?

भारत अब तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश बनने के रास्ते पर है—Russian oil इसकी एक बड़ी वजह है
ट्रम्प द्वारा लगाया गया अमेरिकी दंडात्मक टैरिफ (२५%+ penalties) भारत की निर्यात क्षमता और व्यापार संतुलन को प्रभावित कर सकता है, लेकिन भारत सरकार अभी भी “energy self‑interest” और strategic autonomy को प्राथमिकता दे रही है।

Disclaimer

यह ब्लॉग सार्वजनिक रूप से उपलब्ध समाचार स्रोतों और विश्लेषणों (Reuters, Time, WSJ, Al Jazeera, Economic Times आदि) पर आधारित है और इसका उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना है। इसमें दी गई टिप्पणियाँ या निष्कर्ष लेखक के निजी विश्लेषण हैं और किसी व्यक्ति, संगठन या सरकार की ओर से नहीं हैं।

FAQs

प्रश्न १: क्या वह सही है कि Trump भारत से रूसी तेल खरीदना बंद करने को कह रहे हैं?
उत्तर: हाँ। ट्रम्प ने खुले तौर पर भारत पर २५% reciprocal tariff लगाने की चेतावनी दी है और additional penalties की भी बात कही है

प्रश्न २: क्यों Modi सरकार रूसी तेल खरीदना बंद नहीं करना चाहती?
उत्तर: मुख्य कारण है energy security, inflation नियंत्रण, और यह कि पश्चिमी देशों में hypocrisy है—वे खुद रूस से energy और industrial goods import करते रहते हैं जबकि भारत पर दंड मढ़ते हैं

प्रश्न ३: क्या भारत इस विवाद के चलते अमेरिकी टैरिफ को स्वीकार कर सकता है?
उत्तर: फिलहाल भारत ने अपने exports पर retaliatory tariffs नहीं लगाए हैं, बल्कि diplomatic level पर इस मुद्दे को ठुकरा दिया है; लेकिन trade experts चेतावनी दे रहे हैं कि यदि टैरिफ लागू हुआ, तो भारत के exports को नुकसान हो सकता है

प्रश्न ४: क्या चीन को भी इस तरह की धमकी दी जा रही है?
उत्तर: ट्रम्प प्रशासन ने चीन और कुछ अन्य देशों के लिए भी secondary sanctions और १००% tariffs का प्रस्ताव रखा है, लेकिन विशेष ध्यान भारत पर रहा है क्योंकि भारत अमेरिका के प्रति विचलित व्यापार समझा जा रहा है

प्रश्न ५: क्या यह स्थायी संकट बनेगा?
उत्तर: अभी तक ऐसा लगता नहीं। विशेषज्ञ मानते हैं कि जब trade deal या कोई diplomatic समझौता होगा, तो यह मुद्दा leverage के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा—but लंबी अवधि में प्राथमिक लक्ष्य strategic partnership ही बनी रहेगी

 


Discover more from FactNest Media

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Discover more from FactNest Media

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading