हाल ही में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहाँ भारतीय पुलिस ने गाज़ियाबाद में एक नकली दूतावास (Fake Embassy) चलाने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। यह व्यक्ति न केवल विदेशी नागरिकों को ठग रहा था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को भी नुकसान पहुंचा रहा था। आइए जानते हैं इस अनोखी ठगी की कहानी। भारत में धोखाधड़ी के मामले तो आम हैं, लेकिन इस बार मामला कुछ अलग और चौंकाने वाला है। उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया है जो वर्षों से एक फर्जी विदेशी दूतावास चला रहा था। उसका दावा था कि वह “लाइबेरिया” देश की एम्बेसी चला रहा है। आरोपी न केवल देश के नागरिकों को बल्कि विदेशियों को भी अपना शिकार बना रहा था। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि यह फर्जी एम्बेसी (Fake Embassy) कैसे काम कर रही थी, इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे, और पुलिस ने इसे कैसे पकड़ा।
क्या है मामला?
उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद शहर में पुलिस ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो खुद को विदेशी दूतावास का कर्मचारी बताकर लोगों को ठग रहा था। यह व्यक्ति एक फर्जी दूतावास (Fake Embassy) चला रहा था और दावा कर रहा था कि वह लोगों को वीज़ा, पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज दिलाने में मदद करता है।
वह विदेश में नौकरी दिलाने, शरण लेने (Asylum) और वीसा प्रक्रिया में सहायता के नाम पर लोगों से मोटी रकम ऐंठ रहा था।
आरोपी की पहचान
पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान राहुल श्रीवास्तव के रूप में हुई है, जो गाज़ियाबाद में रहता है। उसने खुद को “ग्लोबल एम्बेसी ऑफ लाइबेरिया” का अधिकारी बताया था। जांच में सामने आया कि ऐसा कोई दूतावास भारत में पंजीकृत ही नहीं है।
कैसे हुआ खुलासा?
पुलिस को कुछ विदेशी नागरिकों और स्थानीय निवासियों की शिकायतें मिलीं कि गाज़ियाबाद के एक पॉश इलाके में कोई विदेशी दूतावास (Fake Embassy) चल रहा है जो संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त है। जब पुलिस ने छापा मारा तो वहां फर्जी दस्तावेज, नकली स्टैम्प, फर्जी वीजा फॉर्म, और कई अन्य सरकारी प्रतीक चिह्न बरामद हुए।
आरोपी का उद्देश्य
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपी का उद्देश्य था:
- विदेशी नागरिकों को फर्जी दस्तावेज देकर भारत में अवैध रूप से रहने देना
- नकली वीज़ा और पासपोर्ट बनाकर लाखों रुपये की ठगी करना
पुलिस की कार्रवाई
गाज़ियाबाद पुलिस ने IPC की विभिन्न धाराओं और विदेशी अधिनियम (Foreigners Act) के तहत केस दर्ज किया है। आरोपी से पूछताछ जारी है और उसके नेटवर्क की भी जांच की जा रही है। पुलिस को शक है कि इसमें कई और लोग शामिल हो सकते हैं।
विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय ने मामले को गंभीरता से लिया है और स्पष्ट किया है कि भारत में किसी भी देश का दूतावास (Fake Embassy) तभी वैध होता है जब वह केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत और पंजीकृत हो। इस मामले में कोई आधिकारिक अनुमति नहीं ली गई थी।
जनता के लिए चेतावनी
पुलिस और प्रशासन ने आम जनता से अपील की है कि:
- किसी भी प्रकार के वीजा या दूतावास संबंधित कार्यों के लिए केवल सरकारी पोर्टल या आधिकारिक वेबसाइट का ही इस्तेमाल करें।
- किसी अज्ञात एजेंट या संस्था के झांसे में न आएं।
- शक होने पर तुरंत स्थानीय पुलिस स्टेशन में सूचना दें।
आरोपी कैसे बना (Fake Embassy) ‘दूतावास प्रमुख’?
गिरफ्तार आरोपी, राहुल श्रीवास्तव, एक सामान्य दिखने वाला व्यक्ति था, लेकिन उसका नेटवर्क और योजनाएं बेहद शातिर थीं। उसने गाज़ियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में एक फ्लैट को ऑफिस में बदल दिया था और वहां एक बोर्ड लगाया – “Embassy of the Republic of Liberia”। उसके पास फर्जी स्टैम्प, सील, लेटरहेड, वीजा फॉर्म, और विदेशी अधिकारियों के नाम से बने हुए दस्तावेज़ थे।
वह लोगों को विश्वास में लेने के लिए खुद को “डिप्लोमैटिक को-ऑर्डिनेटर” बताता था। उसने सोशल मीडिया पर भी प्रोफाइल बना रखी थी और फर्जी इंटरनेशनल मीटिंग्स की तस्वीरें शेयर करता था।
ठगी का तरीका
राहुल का ठगी करने का तरीका बहुत ही पेशेवर था। वह विभिन्न अफ्रीकी देशों के नागरिकों को अपना शिकार बनाता था, विशेष रूप से वे लोग जो भारत में पढ़ाई या इलाज के लिए आते हैं। वह उन्हें वीजा एक्सटेंशन, रेजिडेंसी परमिट, और यहां तक कि भारतीय नागरिकता दिलवाने का झांसा देता था।
वहीं, भारतीय नागरिकों को वह विदेश में नौकरी, PR (Permanent Residency), या राजनीतिक शरण (Asylum) दिलाने का झांसा देकर लाखों रुपये वसूल करता था।
कितना फैला हुआ था नेटवर्क?
पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि राहुल का नेटवर्क दिल्ली, नोएडा और अन्य प्रमुख शहरों तक फैला हुआ था। उसके पास अन्य लोगों के साथ भी संपर्क था जो दस्तावेजों की फर्जी स्कैनिंग, प्रिंटिंग, और वेरिफिकेशन जैसे कार्य करते थे।
इसके अलावा, कई विदेशियों ने आरोपी पर यह भी आरोप लगाया है कि वह उन्हें अवैध तरीके से भारत में रुकवाने के लिए “फर्जी रेजिडेंसी पेपर्स” बनवाकर देता था।
पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो की सतर्कता
इस मामले में गाज़ियाबाद पुलिस के साथ-साथ इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की भूमिका भी अहम रही। विदेशी नागरिकों की गतिविधियों पर नजर रखने वाली टीम को कुछ संदिग्ध डॉक्युमेंट्स और इंटरव्यूज़ के दौरान संदेह हुआ था। जब इनपुट पक्का हुआ तो गाज़ियाबाद पुलिस ने तत्काल छापा मारा और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
छापे के दौरान पुलिस को निम्नलिखित चीजें मिलीं:
- नकली एम्बेसी बोर्ड और स्टैम्प
- वीजा और पासपोर्ट जैसे दस्तावेज
- कंप्यूटर में सेव की गई विदेशी नागरिकों की जानकारियां
- फर्जी ID कार्ड्स और नियुक्ति पत्र
विदेश मंत्रालय और लाइबेरिया सरकार की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया कि भारत में लाइबेरिया की कोई अधिकृत एम्बेसी केवल नई दिल्ली में स्थित है। गाज़ियाबाद में किसी भी तरह की राजनयिक गतिविधियों की अनुमति नहीं दी गई थी।
लाइबेरिया सरकार ने भी भारतीय अधिकारियों से इस पर रिपोर्ट मांगी है और जांच में सहयोग की बात कही है।
क्या है आगे की कार्रवाई?
गाज़ियाबाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ IPC की कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है, जिनमें शामिल हैं:
- धोखाधड़ी (Fraud)
- फर्जी दस्तावेज बनाना (Forgery)
- विदेशी नागरिकों को गुमराह करना (Cheating Foreign Nationals)
- राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालना
इसके साथ ही फॉरेनर एक्ट और इमीग्रेशन नियमों का भी उल्लंघन किया गया है।
आम जनता के लिए सुझाव
ऐसे मामलों से बचने के लिए कुछ सावधानियाँ जरूरी हैं:
- सरकारी वेबसाइट का ही उपयोग करें – वीजा, पासपोर्ट या अन्य सेवाओं के लिए केवल सरकारी पोर्टल या अधिकृत एजेंट्स से संपर्क करें।
- दूतावास की वैधता जांचें – किसी भी दूतावास या राजनयिक संस्था की वैधता MEA की वेबसाइट से चेक करें।
- भरोसे की पुष्टि करें – कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले उसके कानूनी और वैध पहलुओं की जांच करें।
निष्कर्ष – Fake Embassy
यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि कैसे कुछ लोग मासूम लोगों को ठगने के लिए फर्जी संस्थाएं खड़ी कर लेते हैं। गाज़ियाबाद में पकड़े गए इस नकली दूतावास के मामले ने पूरे देश को हैरान कर दिया है। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए हमें सतर्क रहना होगा और किसी भी दस्तावेज या संस्था की वैधता की जांच अवश्य करनी चाहिए।
Disclaimer (डिस्क्लेमर):
इस ब्लॉग में दी गई जानकारी विभिन्न न्यूज़ सोर्स और पुलिस रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सूचना देना है, किसी भी प्रकार की कानूनी या राजनीतिक राय देना नहीं।
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